Tuesday 19 July 2011

pyaas

क्या क़यामत सी थी उसकी तसल्लियाँ भी, मुसलसल बेकरारिया दे गया कोई...!!
सिर्फ उसकी ज़फाए होती तो कोई बात न थी, मेरी दीवानगी की वजह उसकी अदाएं भी रही....!!
उसकी दुश्मनी सर आँखों पर लिए फिरता हूँ, ऐ ज़माने तेरी दोस्ती से लाख गुना अच्छी है....!!
अभी तो महफ़िल के मजे लूट लो तुम दोस्तों, चुरा लेंगे हम भी जलवे इसके कभी न कभी.....
तौबा करके तोडूं तो फिर न पास भी बिठाना साक़ी, पर जब तक तौबा न करूँ तब तक तो पिलाना साक़ी...!!
वो चाँद है पूनम का, सबकी आँखों में प्यार भरता है, मैं सूरज हूँ बेबसी का, इसलिए मुझसे दूर ही रहता है....!!
जिन्हें है खुदा की आरजू, खुदा दूर उनका गिला करे, मुझे जुस्तजू मेरे यार की, मुझे बस वही मिला करे....!!
बात मतलब की मेरी समझ में आ गई साक़ी, तेरी नजर पहली ही नजर में मुझपे छा गई साक़ी...!!
वो समझता था, उसे पाकर ही मैं रह जाऊंगा / उसको मेरी प्यास की शिद्दत का अन्दाज़ा नहीं

Saturday 16 July 2011

terrorism & politicians

मुम्बई बम ब्लोस्ट के बाद खाकी फिल्म का वो दृश्य सहसा ही याद आया जिसमे अमिताभ कहते हैं कि,"हमारी लड़ाई उस दुश्मन से हे जिसका ना कोई नाम है ना चेहरा है" फिर क्यों राजनेता ब्लोस्ट मे मारे गये लोगो की खोज खबर लेने के बजाये आपसी बयांबाजी मे उलझे हुये है