Monday 12 December 2016

युवक कौन है

बुजर्गो की पहचान बुद्धि है उम्र नहीं,उसी तरह जवानी की  पहचान उम्र नहीं कुछ और है,हम उसे युवक  नहीं कहते जिसकी उम्र १८ से २५ वर्ष हो,जो सर से पैर तक फैशन में सजा हुआ विलासिता का दास,जरूरतों का दास  खर्च के गधे को बाबा कहने को तैयार  हो,वह न  जवान है न  बूढा, वह युवक है ?जिससे न जाति का  उपचार न देश का भला हो  सकता है,हम जवान या युवक उसे कहते है जो बीस का हो का हो या चार बीस का पर हो हिम्मत का  धनी, दिल का मर्द,आन पर मर जाय पर किसी का एहसान  न ले,सिर कटा दे पर झुकाये नहीं,आफतो से घबराये नहीं बल्कि उनमे  कूद पड़े,नदी के किनारे नाव के इंतजार में खड़ा न हो बल्कि उछलती लहरो पर सवार हो जाए,कठिनाईया ना हो तो उनकी सृस्टि करे,जो सन्तोष को संतोष समझे विश्राम को विष का  प्याला,जिसे संघर्ष में विजय का आनंद प्राप्त हो,परिश्रम में सफलता या उल्लास,युवक वह है जो अपने ऊपर असीम विश्वास रखता हो,जो अकेला चना होकर भी भाड़  फोड़ डालने की हिम्मत रखे,जो उपासना करे तो शक्ति की,आराधना करे तो स्फूर्ति की,जिनकी नाड़ियो  में रक्त की जगह आकांछा हो,ह्रदय में प्राण की जगह अशांति,जो रूढ़ियों का शत्रु और परिपाटी का नाशक हो,जो पाखण्ड  पीछे हाथ धोकर पङ जाए और जब तक  नामोनिशान न मिटा दे  चैन न ले। 
युवक वह है  जिस पर सदैव कोई न  कोई धुन  सवार रहती है, अगर नमाज़ पढने की बारी आये तो ऐसा कि अल्लाह के रूबरू हो जाय,पूजा करे तो जैसे ईश्वर  खोज ही डाले,सोने पर आये तो दोपहर दिन की खबर ली,खेलने पर आये तो  रात आँखों में कट गई,किसी से दोस्ती हुई तो प्राण तक निछावर कर दिए,दुश्मनी हुई तो खून के प्यासे हो गए,युवक जो  काम करता है वह उत्साह से उमंग से,दिलोजान से,बेदिली से दुवधे में पडकर वह कोई  काम नहीं करता, युवक वह है जिसे कल की चिंता  नहीं सताती जो आज में  मगन रहता है,कल को कल पर  छोडता है,जिसके जीवन में सभी दिन आज है,कल का कही अस्तित्व ही नहीं,जिसके जीवन का सार है,उमंग!उमंग!उमंग!
हिंदी साहित्य की क्लास में अचानक प्रोफ़ेसर श्री गंगा प्रसाद द्विवेदीजी ने छात्रों से पूछा बताओ युवा कौन?कई उत्तर आये हम साहित्य के विद्यार्थी न थे सो घर पे लिख के उन्हें दिखाया और उन्होंने प्यार से चपत लगा कर कहा "तुम्हे साहित्य लेकर पढना था" और आख़िरी लाईन जोड़ कर उमंग से पूरा कर दिया।।

Monday 31 October 2016

समय बदला और समय के साथ बदले मुखौटे!!

1991 के दौर में पूर्व प्रधानमंत्री पीवी नरसिम्हा राव ने कहा था की भाजपा और संघ से लड़ पाना बहुत मुश्किल है ये मुखौटा पहन कर सामने आते है अभी राम का पहना हुआ है अगर आप भाजपा का विरोध करेंगे तो लोगो को ऐसा महसूस होगा की राम का विरोध किया जां रहा है,समय के साथ राव साहब की बात सच साबित हुई,रामजन्मभूमि मामला 1950 से कोर्ट में लंबित था और उस पर फैसला भी आया 2011 में जो अभी सुप्रीम कोर्ट में लंबित है फिर क्यो हजारों लोग दंगों में मारे गए क्यो लोगो की भावनाओं से खेला गया,
ठीक उसी प्रकार अभी भाजपा ने सेना का मुखौटा पहना हुआ है,सर्जिकल स्ट्राइक पर सेना ने लांच पैड पर हमला कर नस्ट करने की बात कही और कितने दुश्मन सैनिक मारे संख्या नही बताई लेकिन मीडिया रिपोर्ट भिन्न आने पर सवाल तो उठने स्वाभाविक थे सो उठे बस इसे सेना पर अविश्वाश मानकर घटिया और ओछे स्तर की बयानबाजी होने लगी की अपने माँ बाप के सुहागरात का वीडियो दिखाऊँ,पढे लिखे अनपढ़ और ज़ाहिलो को ये पता नही है की डीएनए टेस्ट भी होता है इसके लिए,
सर्जिकल स्ट्राइक पहले भी होती रही है लेकिन उसे स्वीकार नही किया जाता था कि अनतररास्ट्रीय स्तर पर हमे कहना होता था कि हमारे साथ दुश्मन देश ग़लत कर रहा है,पहले पाकिस्तान चिल्लाता था की भारत हमारे साथ ग़लत कर रहा है और हम मुस्कुरा कर कहते थे हम शान्ति पसंद करते है,पहले हम वैश्विक समर्थन पाने के लिए अपने अभियान छिपाते थे  लेकिन अबकी बार उल्टा हो रहा है इसीलिये हमारे कई निकट सहयोगी हमसे हाल के वर्षो में हमसे दूर् हुए है,और इन सब मुद्दों को उठाना देशद्रोह है,
जबकि ना इन्हे राम से मतलब है न सेना से ये सिर्फ़ मुखौटे लगाते है जो समय के साथ बदलते है,जेके चुनाव के पहले धारा 370 अब गायब,अफजल गुरू को ऐलानिया शहीद का दर्ज़ा और बाप बेटी की सरकार से गठबंधन,बिहार का रुप बदल देने के वादे अब वहा से भी गायब,नागा विद्रोहियों से समझौता,लिट्टे के आतंकवादियों को मान्यता देने वालों से तमिलनाडु में समझौता,इंदिरा हत्याकांड मे शामिल आतंकवादियों को शहीद का दर्जा देने वालों से पंजाब में समझौता,अब यूपी चुनाव के लिए समान नागरिक संहिता और राम संग्रहालय के मुखौटे लगाए गए है जिन्हें यूज एंड थ्रो करना विगत की भांति अवश्यंभावी है,
लोकतंत्र और परिपक्व होगा और इनके मुखौटे उतारेंगे फिलहाल कट्टरपंथ हावी है जिसका चरम पर पहुँचना अभी बाकी है,ये लड़ाई दक्षिणपंथ और वामपंथ की है जिसका नुकसान केंद्रीयकृत विचारधारा को पता नही कब तक उठाना होगा..वक्त लगेगा पर सच सामने आयेगा जरूर..वैसे संघ के विचारक गोविंदाचार्य को यह कहने पर पार्टी से बाहर किया गया था की वाजपेयी तो पार्टी के मुखौटे है जो अब तक वापस नही हुए है क्योकि समय बदला और समय के साथ बदले मुखौटे..!!

Saturday 29 October 2016

"मरे दलपत 200 करोड़ के"

काँग्रेस विरोधी लहर जिसे लोग मोदी लहर का नाम भी देते है लेकिन मै उसे सत्ता विरोधी लहर ही कहूँगा,लंबे समय तक चलनें वाली सरकारें अरुचि पैदा करती है,बहरहाल दलपत सिंह लंबे अन्तर से चुनाव जीते,इसके पहले भी 1977 और 1989 की लहर में चुनाव जीत चुके थे 2004 का चुनाव अपवाद रहा और 2009 में पार्टी ने उन्हें टिकट नही दी, भाजपा अपनी सरकार के 2 वर्ष पूरे होने का जश्न मना ही रही थी तभी 1 जून को उनका निधन हो गया,इन 2 वर्षो में उनकी ओर से जनता के लिए गिनाई जा सकने वाली कोई उपलब्धि खाते में नही थी,उनके निधन होने पर प्रधानमंत्री महोदय की ओर से ट्वीट आया लेकिन समर्थकों ने तो हद ही कर दी जब अशोक सिंघलजी को श्रद्धांजलि देते हुए उनकी तसवीर जो 2011 की थी को दलपत सिंह को श्रद्धांजलि देते हुए सोशल मीडिया पर पोस्ट किया गया और उन्हें आधार बनाते हुए कुछ स्थानीय समाचार पत्रों ने भी उस पिक को प्रमुखता से प्रकाशित किया.
अचानक भाजपा को शहडोल और यहा के लोगो की याद आई,सीएम साहब उनके घर पहुचे और रातोरात लगभग 10 किमी की सड़क सिमेंटेड हो गई,जो मेडिकल कालेज शहडोल 2006 में शिलान्यास होने के बाद ईंट गारा का इंतज़ार कर रहा था अचानक वहा खुदाई का काम दिखावे के लिए ही सही चालू हो गया,आनन फानन में घोषणाओ की झडी चिर परिचित अंदाज़ में "ये दैंगे-वो दैंगे" चालू हो गया,विधानसभा के अनुपूरक बजट में शहडोल के लिए 200 करोड़ पास किए गए,ये मन्त्री वो मन्त्री और इतने प्रकार के मन्त्री घूमने लगे जितने शायद कभी विभागों के नाम भी याद न रहे होंगे.
होने वाली घोषणाओं के पूर्ण होने की बात अभी भविश्य में है लेकिन जनता को लुभाने का निर्लज्ज दौर चल रहा है.लेकिन शिवराज का पिछला रिकार्ड बताता है थोक में होने वाली घोषणाओं में से 10 प्रतिशत भी पूरी हो जाए तो वो अपना ही रिकार्ड तोड़ देंगे.
ज्ञान सिंह जो वर्तमान में मैदान में है उन्होंने 1996 और 98 में जीत हासिल की लेकिन 2004 में उनकी टिकट काट दी गई क्योकि वो एक सांसद के रुप में अपनी प्रभावशाली उपस्थिति भी दर्ज न करा सके थे,काँग्रेस की ओर से स्व.दलबीर सिंह जी और पूर्व सांसद श्रीमती राजेश नंदिनी सिंह की पुत्री हेमाद्री मैदान में है जिन पर वंशवाद का आरोप लगाया जा रहा है या ये कि उनके पिता ज्ञान सिंह से नही जीत पाये वो क्या जीतेंगी लेकिन ज्ञान सिंह इस शर्त पर लडने को तैयार हुए है कि अगर वो जीते तो उनकी खाली शीट से उनका लडका चुनाव लड़ेगा और उसे मन्त्री बनाया जायेगा, यही आरोप लगाने वाले लोग उनके पीछॆ पीछॆ चिरौरी करते फिर रहे थे कि वो (हेमाद्री) भाजपा से लड़ ले,अहंकार में डूबे मदमश्त नेताओं को ये नही पता की माँ नर्मदा में पिछले बरसो बहुत पानी बह चुका है,जिस जनता को ये पिछले 2 सालों में भूल चुके थे अचानक वही जनता उन्हें शहद में डूबी नजर आने लगीं
ये अफवाहें भी उडाई जा रही है कि भाजपा की बहुमत से 1 शीट कम है और अगर 1 शीट आ गई तो काँग्रेस लीडर आफं अपोजीशन बना लेगी उन्हें ये जानना जरूरी है की बीजेपी पूर्ण बहुमत में है और काँग्रेस की 45 शीटे है जो 46 होंगी और जरूरी संख्या है 55 कुल 547 शीटों का 10 प्रतिशत.
इस उपचुनाव से कोई परिवर्तन नही होने वाला लेकिन समय निकलने पर जनता को भूल जाने वालों के लिए अगर भाजपा हारती है तो ये एक अच्छा सबक होगा और कोई नेता फिर कभी ऐसा नही कर पायेगा,कुल मिलकर ये चुनाव भाजपा के लिए वाटरलू सिद्ध होने वाला है जो उन्हें तुलसी दास का ज्ञान भी देगा कि "दुःख में सुमिरन सब करै सुख में करै न कोय,जो सुख में सुमिरन करे को दुःख काहे को होय"
जिस तरह का उपेच्छित व्यवहार सता पक्ष ने इस क्षेत्र के साथ किया है उसे देख् कर तो ऐसा लगता है कि हर साल उपचुनाव हो इसी बहाने काम तो होंगे..
जो कहते है ज्ञानसिंह आज तक कोई चुनाव नही हारे  उन्हें 1984 के चुनाव परिणाम को नही भूलना चाहिये जब भाजपा प्रत्याशी ज्ञान सिंह को स्व.दलबीर सिंह जी ने 53322 वोट से हराया था,हां 1996 और 98 के परिणाम उनके पक्ष में रहे सो इस बार बेटी का बदला भी पूरा होगा,
स्व.दलपत सिंह जी जीते जी जनता का भला न कर सके कम से कम मरने के बाद तो वो काम आए उन्हें हार्दिक श्रद्धांजलि..