Friday 18 March 2022

शोसल मीडिया में सुको जजेज के खिलाफ फैला झूठ।

1- जस्टिस चेलमेश्वर वही न्यायाधीश है जिन्होंने 66 आईटी एक्ट को असंवैधानिक घोषित किया सोशल मीडिया पोस्टिंग के संबंध,हर शोसल मीडिया उपयोगकर्ता को उनका शुक्रगुजार होना चाहिए।
2-जस्टिस चेलमेश्वर वरिष्ठता क्रम में जरूर नंबर 2 है लेकिन वो वर्तमान चीफ जस्टिस श्री दीपक मिश्रा साहब के कार्यकाल समाप्त होने के पहले ही सेवानिवृत्त हो जाएंगे इसलिए वो चीफ जस्टिस की दौड़ में नही है देखे स्रोत-http://www.supremecourtofindia.nic.in/chief-justice-judges
3-उड़ीसा मेडिकल कालेज स्कैम में अधिवक्ता कामिनी जायसवाल ने स्वतंत्र जांच के लिए रिट लगाई थी और जस्टिस दीपक मिश्रा के मेडिकल कालेज स्कैम से जुड़े होने और मैटर उड़ीसा का होने के कारण जस्टिस मिश्र के समक्ष न सुनवाई करने का अनुरोध किया था जिसे जस्टिस चेलमेश्वर ने 5 जजो की संवैधानिक बेंच को रेफर कर दिया था लेकिन जस्टिस दीपक मिश्रा जज साहब ने सो मोटो संज्ञान में लेते हुए दूसरी बेंच को रेफर कर दिया देखे श्रोत-
https://scroll.in/article/864801/explainer-why-four-senior-judges-of-the-supreme-court-decided-to-take-on-cji-dipak-misra
4-प्राकृतिक न्याय का सिद्धांत है कि कोई भी व्यक्ति अपने मामले में न्यायधीश नही हो सकता इसलिए मिश्रा साहब का आदेश विधि विरुद्ध था।
5-ऐसा दीपक मिश्रा साहब पहले भी कर चुके है,राष्ट्रगान वाले मामले में जब दीपक मिश्रा साहब मप्र हाई कोर्ट में जज थे तब ठीक वैसा ही निर्देश दे चुके थे जैसा अभी दिया और वो आदेश सुको पहले ही रद्द कर चुकी थी,कोई जज अपने द्वारा किये गए फैसले की अपील खुद नही सुन सकता और यदि किसी याचिका को हाईकोर्ट ने निराकृत किया है और वो जज साहब सुको में आ चुके है तो याचिकाकर्ता को ये लिखना होता है कि उक्त न्यायाधीश के समक्ष मामला न रखा जाय और याचिकाकर्ता रविन्द्र चौकसे ने अपनी रिट के पहले पन्ने पर लिखा था कि इस याचिका की सुनवाई जस्टिस दीपक मिश्रा न करे फिर भी उन्होंने सुनवाई की और बाद में अन्य बेंच ने सरकार की सहमति से आदेश को संशोधित किया,देखे श्रोत-
http://indianexpress.com/article/india/india-news-india/supreme-court-cinema-halls-thirteen-years-ago-same-petitioner-same-judge-and-the-anthem-4404145/
श्रोत क्रमांक 2 जिसमे स्पस्ट लिखा है याचिकाकर्ता ने की इसे जस्टिस दीपक मिश्रा के समक्ष न रखा जाय।
http://googleweblight.com/i?u=http://www.livelaw.in/sc-registry-ignored-listing-proforma-national-anthem-case/&grqid=mmH59z_X&hl=en-IN
5- एक साथ 3 तलाक को असंवैधानिक घोषित करने में 3/2 के बहुमत से फैसला हुआ था इन 3 जजो में जस्टिस कुरियन जोसेफ भी थे देखे स्रोत-
http://indianexpress.com/article/india/instant-triple-talaq-unconstitutional-against-teachings-of-islam-supreme-court-4807974/
6- 8 राज्यो में हिन्दू अल्पसंख्यक है इस मामले में सुप्रीम कोर्ट रिट पहले ही खारिज कर चुकी है देखे श्रोत-
http://zeenews.india.com/india/hindus-as-minority-in-8-states-supreme-court-refuses-hear-plea-asks-petitioner-to-approach-national-commission-for-minorities-2055899.html
7-याकूब मेनन की अपील 3 जजो की बेंच 2015 में रिजेक्ट कर दी गई थी,अंतिम क्यूरेटिव याचिका चीफ जस्टिस ने जस्टिस दीपक मिश्रा को सुनवाई के लिए भेजी थी,यदि प्रशांत भूषण की चलती होती तो वो दीपक मिश्रा के पास केस क्यो लगवाते देखे श्रोत-http://m.hindustantimes.com/india/sc-rejects-yakub-s-final-appeal-after-dramatic-late-night-hearing/story-KqYCSR03MG2CFPx8CWEeJJ.html
8-टॉलस्टाय ने अपने सुप्रसिध्द नाटक क्लियोपेट्रा में लिखा था कि "राजघराने में कुछ तो हो रहा है जो सड़ांध मार रहा है"
सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम में बहुमत से जजो की नियुक्ति पर फैसला होता है न कि चीफ जस्टिस की मर्जी चलती है,कॉलेजियम जिन 5 जजो से मिलकर बनी है उसमें चीफ जस्टिस के अलावा ये 4 जज भी है।
उड़ीसा मेडिकल काउंसिल घोटाले में सीबीआई जांच के बहाने सरकार ने न्यायपालिका को दबाव में लिया हुआ है,अगर 1 नागरिक को सरकार पीड़ित करती है तो वह न्यायालय जाता है लेकिन वहां भी सरकार के अनुकूल काम होने लगे तो फिर नागरिक कहा जायेगा,इसलिए जजो ने कहा की लोकतंत्र खतरे में है।
जजो के पत्र में सिर्फ 1 मामले का उल्लेख है,चारो न्यायाधीशो का पिछला न्यायिक जीवन पूर्णतः बेदाग रहा है,घोर पीड़ा में ही उन्होंने ये कदम उठाया होगा जो निश्चित ही देश के नागरिकों के लिए है और न्यायपालिका की स्वतंत्रता की मंशा से है,पढ़े लिखे लोगो को कमसे कम सभी तथ्यों की जांच कर लेनी चाहिए और किसी पार्टी के कैडराइज सोशल मीडिया पोस्ट पर आंख मूंद कर भरोसा नही करना चाहिए।।

No comments:

Post a Comment