Saturday 16 June 2018

महाराणा प्रताप और अकबर धर्मयुद्ध नही राजयुद्ध

वीर योद्धा महाराणा प्रतापजी का जन्म  9 मई को तथा मृत्यु 29 जनवरी को हुई,उनका राजतिलक 18 फरवरी को हुआ,अकबर और राणा की सेनाओं के बीच प्रसिद्ध हल्दीघाटी का युद्ध भी 18 जून को हुआ,चूंकि 16 जून को ईद है इसलिए 15 जून को योगी आदित्यनाथ ने जब बताया की अकबर से ज्यादा महाराणा प्रताप महान थे तो इसमें महानता बताने की बजाय राजनैतिक कुटिलता झलकी,शोसल मीडिया पर देशभक्त पार्टी के शोसल मीडिया पोस्ट इसके पीछे की शरारत को बेपर्दा कर रहे है,इन सबके बीच योगी आदित्यनाथ और उनके कागजी वीर ये भूल जाते है कि महाराणा प्रताप की सेना के सेनापति वीर हकीम खां सूर थे जब हल्दी घाटी का युद्ध प्रारम्भ हुआ तो हकीम खान सेना का नेतृत्व करते हुए मुगल सेना पर इस बुरी तरह टूटे की मुगल सेना को 5 कोश पीछे हटना पड़ा था,तब मुगल सेना के 100 से ज्यादा सैनिकों ने योजना बनाकर अकेले हकीम को घेर लिया था जिनमे कई हकीम के हाथों मारे गए और घायल तो सब हुए थे,लड़ते लड़ते हकीम जब मारे गए तब भी तलवार उनके हाथ मे थी और उन्हें तलवार के साथ ही दफनाया गया था उनकी मौत के बाद ही मुगल जीत सके थे,मेरे कहने का आशय ये है कि राणा और अकबर के बीच की लड़ाई धर्म की न होकर राजपाट की थी याद रखने वाली बात है कि अकबर के पिता हुमायु की मौत बचपन मे होने के कारण राजा मानसिंह ने बली सरपरस्त के रूप में बालिग होने तक मुगल सल्तनत पर अकबर के 14 साल पूरे होने तक अप्रत्यक्ष रूप से राज किया था,हकीम खान और राजा मानसिंह में आप हिदू मुस्लिम देखेंगे या इंसानियत और वफादारी यह आप पर निर्भर है बहरहाल  ये सब ऐतिहासिक तथ्य है जिन्हें आप तोड़ मरोड़ सकते है लेकिन मिटा नही सकते।राखी पर बताऊंगा कि वो कौन सी राजपूत महारानी थी जिसने हुमायूं को राखी भेज कर मदद के लिये बुलाया था और कैसे हुमायूं ने बहन की लाज बचाई थी और कैसे रक्षाबंधन का अरबी शब्द राखी प्रचलन में आया!!
1 बार फिर सबको ईद मुबारक☺️☺️

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